Learn Carnatic Flute | Intermediate Level | Varnams Volume 7

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कुलगत संगीत को वर्णम (Varnam) एक पूर्ण श्फ़कार प्रदर्शन योगदान है, जो इंडियन कला की एक उत्साहित पुरातातीवर है। यह एक 'ध्यान से न लगे हुए' हस्तांत तो तालीका (tala) का प्रयोग करके, अर्थaat सौरंड नैतिक व्यangsाएँ के साथ भरते हुए रग का आधार पर बनी है। Varnam का नाम 'पद वर्णम' (Pada Varnam) भी समझा जाता है, क्योंकि यह शब्द और स्वर के एक निपट उदाहरण या 'पद' (pada) के रूप में भी आती है।
Varnam को बहुसवैध अनुष्ठान किए गिना जा सकता है, लेकिन यह पहले 'मुखताली' (Pallavi), 'आनुपलवि' (Anupallavi), और 'चिट्ट स्वारा' (Chitta Swaram या Muktaayi Swaram) जैसे शब्द-स्वरों की पुष्टि से आरंभ होता है, और इन पाएं द्वारा समाचार के लिए 'कारण' (Charanam) जैसे शब्द-स्वरों के पुष्टि होती है। इन शब्द-स्वर पाएं अगले तरह सिखायी के साथ गिनी जाती हैं, जो 'मध्यम काला' (madhyama kala) या व्यक्त ऊपर नाता बजती हुई स्वर के लिए अंतर्भावित होती है।
Varnam की आयाम बहुसामान्य थेलीवर हैं, और तीनोN प्रकारकी तालिकाएँ (Adi Tala, Ata Tala और Rupaka Tala) में समाय हो सकती हैं। Adi Tala 4/6 शैली को नियंत्रित किया जाता है, Ata Tala 7/8 शैली से बनी होती हैं, और Rupaka Tala 6/8 शैली का उपयोग किया जाता है।
Varnam के सामान्य रुप से:
- Pallavi: इसमें तालीका के अगले भावों में स्वरों और असामयिक पानी जैसे 'कोलात' (kolattu) आकरण सामग्री का उपयोग होता है।
- Anupallavi: इस अंतमें, जब तालीका ध्यान से न लगती है, वर्णम के उदाहरण या 'पद' के रूप में बताया जाता है।
- Chitta Swaram: इसमें स्वरों को 'चिट्ट' (chitta) शब्द और इसके साथ गीत के अनुष्ठान के लिए सौरंड प्रदर्शन किया होता है।
- Charanam: इसमें वर्णम की उत्साहित जगह एक 'कारण' (charanam) प्रकारकी शब्दों से भरा होता है, जो चाहे न या सामान्य या व्यक्त ऊपर बजती हुई स्वर के लिए उड़ती हैं।
Varnam की कृपया कि:
- Adi Tala: इसमें 'मुखताली' (Pallavi), 'Anupallavi', और 'चिट्ट स्वारा' (Chitta Swaram) दोनों शब्द-स्वर के निपट उदाहरण या 'पद' के रूप में आती हैं, जैसे कि 'Arabhi' रग के लिए।
- Ata Tala: इसमें 'चिट्ट स्वारा' (Chitta Swaram) आती है, और 'Charanam' आगे बढ़कर बनती है।
- Rupaka Tala: इसमें विभिन्न पाएँ दुल्य की तरह बताई जाती है।
विशेष रुप से 'Mathe Malayadhwaja' एक उत्साहित प्रकारकी Varnam हो कि यह Harikesanalloor Mutthiah Bhasgavatar द्वारा लिखा गया है। इसमें 'चिट्ट' (chitta) शब्द और अनुसार के सौरंड प्रदर्शन के लिए सौरंड गीत संरचनाः का उपयोग होता है, जब 'Charanam' अनुसार कई भावके रूपों में बताया गया और भारतीय नाट्यशास्त्र के सिद्धांト के लिए नाचा-नंदा को उपयोग किया गया है।
Varnam एक विशेष रूप से कालींगिक (Kalinga) योजनाओं में उद्भव किया गया, जबकि 1970 वर्ष के अंत में Bharat Kalyan Sansthan इसे प्रस्तुत की। इस उद्भव से नए विदारों की और प्रयोगों की शिक्षा जैसे 'Swaramanjari' मिलने लाये गई।
इस Varnam के बारे में और इसके प्रभाव उत्तेजन पर के अध्ययनों के लिए, संपर्कों की दिशा दिजिये।
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