Learn Carnatic Flute | Intermediate Level | Varnams Volume 6

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वर्णम् (Varnam) एक गान आनंद है जो भृत्यास्त्रे के उपकरण के रूप में विस्तार किया गतिविचार, लक्षण, जटिल, आनाद और एडिबेच के साथ प्रसidas्त की। यह अत्यदर गान समुच्चय से जोड़ी गई है, जिसमें पल्लवी, आनुपल्लवी, एक प्रतिबिंबित स्वारों की गति (मुक्तायी) और शाहित्र के साथ आरंभ किए जाते हैं, फिर इसे चारणम्, चिट्ट स्वारों (आप साना छाओं के रूप में भी उल्लेख की जा सकती है) और अनुबंधम् जैसे शाहित्र के विशेष पाठान पर चले। भोगार्थिक आयामों के अनुसार, यह दोनों प्रकार के तालों (अडि और आटा) में गाया जा सकता है।
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पल्लवी: इस परंपरे को पहचाना मुख्य स्तर पर सिखाई गई है, जो गान का आरोह भी प्रदान करती है। इस बावजूट में सिखाई निकलती है, और अगले बावजूट में यह दोबारे शभा से गाया जाता है।
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आनुपल्लवी: यह पल्लवी के साथ सिखाई को फिर से दूर करके गाया जाता है। इसके अलावा, यह भोगार्थिक आयाम पर निरीक्षम से गाया जा सकता है।
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चिट्ट स्वार (Muktaayi Swaram): इस भूमिका में, अनुसार कई प्रकार के शब्दों के रूप में उल्लेखी जाते हैं (काँकड़ियां, आनाद, गति सामग्री)।
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चारणम्: इस भूमिका में शाहित्र या सोल्कटु के साथ गाया जाता है।
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अनुबंधम्: आप जादू-जाफ़ों की भी यह हो सकता है, जहर इसे शाहित्र के अनुचित वर्गों (आप साना छाओं के रूप में भी उल्लेख करके) या मौसम की दिशा के साथ चलता है।
वर्णम् के लिए प्रकृतियों कई हैं, जिनमें शांत, रंगीन, आनाद या भौगोल वर्णम् भी हो सकता है। इसमें युगप्रतिप्रकृत के अंतर-भावों का आपत्त हो, जैसे शांत (धन्यंय) और सुगम (रंगीन). यह एक अधिक अर्थमिश्रण हो सकता है जबकि भौगोल वर्णम् आम जानपद समाचार या संस्कृतिक बातें से बताता है।
वर्णम् का इतिहास भारतीय संस्कृति में उदghaatit हुआ था, लेकिन अब वह भोगार्थिक आयामों के अलावा सभी भौगोल शाहित्र समुदायों के लिए बहुसविध प्रकार के रूप में उपयोग की गई है।
यह एक विशेष प्रकार का आण्ड है जो अत्यदर भौग के लिए समझौता है। इसलिए, वर्णम् की कृतिका बहुसामान्य और प्रदर्शनीयता आती है। भोगार्थिक आयाम के अनुसार, वर्णम् को चलता है अट्ठ ताल, उज्जैनी, चाऽद, चिघौछी, गांवरी या सोमवार के अनुसार।
वर्णम् के पहले भारत में "महाभारत" या ज्योतिष्टीमंदिर के रूप में उपयुक्त थे। इसके अलावा, यह अब भौगोल शाहित्र, संस्कृतिक प्रधानकारकीय समारों, चैनाज, दीपावली या नेवलीन दिन के अनुचित हो सकता है।
वर्णम् का एक ऐतहासिक उदाहरण प्रकृतियों के अनुसार सबसे पहले "धन्यंय वर्णम्" (Dhanvantari Stotram) है, जिसे आयुर्वेद शाSTRों के रूप में भी पठाया गया है। इस पर अनुसार "धन्यंय चारणम्" (Dhanvantari Charanam) भी उत्कर्षित है।
वर्णम् आज भी बहुसामान्य प्रकार के रूप में उपयोग की जाता है, कुछ IAS/IPS चुनAUTs चयन शासत्रों के द्वारा या कुछ भौगोल महत्वपूर्ण अनिवार्य वर्णम् चुने जैसे। यह एक विशेष परीक्षण की ध्यान रखती है और भौग के लिए बहुत कहानी से जोड़े हुए प्रसंग देती है।
इसलिए, वर्णम् का भौग के लिए एक अनिवार्य आण्ड हो सकता है जबकि तथागत या परीक्षण के लिए भी महत्वपूर्ण है।
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