Learn Carnatic Flute | Intermediate Level | Varnams Volume 5

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वर्णम (Varnam) होए आरभात पल्लवी से शुरू होका जो आकृतिक न कविता बल से, तर वातावर्णिक संस्कृतियों द्वारा गा जाती है। इसे पूरा करने के लिए अनुपलवी (Anupallavi) के साथ सोचेंगे, जिससे पल्लवी और उससे भी बड़ी तारह से फूरती हुई तालिका में निकल जाती है। पश्चात्य पड़नाम, अनुवाद (Chitta swaram) या مुक्तायी स्वर-साहित्य के रूप में गये। इस पसचात् पड़नाम के अनुकरण पड़नाम की विशिष्ट तालिका में निकलता है, और सबse अधिक गाने से निकलती हुई हैं।
वर्णम का आमतौर प्रकार दोनों तालों में अदि ताल (Adi Talam) और अत ताल (Ata Talam) में होका जो 8 बीची और 14 बीची चैतियों का हैं, शामिल करने के लिए। Adi ताल वर्णमयाँ आर्जित प्रकार से दो गानीं का उपकर होता है: पहली गानी चालविती हुई और दुवी गानी दूधेख करके बड़ी तारह से गई। यह कारण है कि पाठालीय शब्दों का माना कि तालकाल को दो बार समझाए जाते हैं।
वर्णमयाँ पूरी कहानी के आधार पर, यह एक विशेष संगीतों और नाटाकलाकों के लिए बनी हुई है। इसलिए जो भारतनाट्यम या ऑपर गीत के लिए अध्ययन करता है, उसे वर्णमयाँ विभिन्न आयां और संस्कृतियों को अध्ययन करना चाहिए। वर्णमयाँ से जुड़ी हुई कई प्रकार के गीत हैं, जैसे कि माते मलैद्वाज (Mathe Malayadhwaja) के रूप में संस्कृति और सोल्कटु स्वर-साहित्य के साथ, जैसे गाने के लिए चालूंगी।
वर्णमयाँ के लिए बुद्धिमान गीतारों और इसके परावर्थना के लिए भारतनाट्यम नाटियाँ बहुसामान होती हैं, क्योंकि यह आसक्रियों, रंग, और भाव के अनुमान से पूरा किए जाता है। इसलिए जो भारतनाट्यम या किंग-कृष्ण या विभिन्न स्थानीय फळ्यां के लिए अध्ययन करता है, उसमें वर्णमयाँ का गाना आधिक भुगतानी हो सकता है।
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