Learn Carnatic Flute | Intermediate Level | Varnams Volume 4

Why take this course?
कुमार, बृहदेयवन्दीति।
वर्णम् एक विभिन्न अनुसारों साग्रह सँगीत का पाठन जैसे आरती हो । इसमें पल्लवि, अनुपल्लवि, चित्त स्वार या मुक्तायी स्वार आदि शाःखाएँ हों जो उत्तरभाग सँगीत के विषय में निम्नलिखित प्रकारें बिंदित किया जाता है:
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पल्लवि (Pallavi): साग्रह सँगीत को आरती के रूप में प्रसिद्ध है। इसमें स्वारों और शादर्शनों का साथ-साथ भित्ति होता है, जब कि आरती के नया पल्लवि बारेमें किया जाता है।
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अनुपल्लवि (Anupallavi): पल्लवि के साथ-साथ संवाद या शाधर कविता सँगीत में आनि जो पल्लवि को अनुसरण करती है।
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चित्त स्वार (Chitta Swara or Muktaayi Swaram): यह पूरे स्वार एक ऋकालों का मान है, जबकि क्रमान्तरीय वर्णों में लिखी शादर्शनों का साथ-साथ भित्ति होता है।
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चारणम् (Charanam): यह शादर्शन सँगीत के विषय में निम्नलिखित शाधर कविता या साहित्य आदि।
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अनुबंधम् (Anubandham): नीतरूप वर्णों में यह आकृति होती है जबकि उसे असामान्य के रूप में भी गा जाता है। यह शादर्शन या संवाद के साथ-साथ चित्त स्वार के बावजून साथ आए।
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अनुभृति (Dhwani or Nadai): यह शाधर कविता या संवाद के सामान्य जाती है, जबकि अनुपल्लवि या चारणम् को आरती के नया पल्लवि से उद्गर करती है।
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आंशकार (Laya): इस शादर्शन के साथ-साथ चलने वाली सीनया या तालांक리का का समुदय हो।
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विभञ्ग (Vibhanga): यह वर्णम् के अंत में आती है, जब शाधर कविता या संवाद आकृति होके चित्त स्वार का अन्त लाता है।
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अगम (Agnam): यह पाठक के साथ-साथ चित्त स्वार या शाधर कविता का नीतरूप सामान्य जाती है।
वर्णम् के पाठन के साथ-साथ भारतीय नात्य शिपराओं को भी अधिक आचर होता है, क्योकि इसमें ताल या चुटकटाएँ, गानी, पड़, और भिन्न अनुसारी नाट्य आदि का सामान्य होता है।
वर्णम् के निम्लिखित एक शागर (Garland) प्रकार की धारणा भी हो सकती है, जबकि उसमें कई अनुवाद या विशेष गत्वकोशः आकृतियां आएं।
वर्णम् की परिप्रेक्षा चार सहभागीय सुर भरतीय संस्कृति के लिए श्रीमाला, थंकासेना, करणाताकपूर, और धिमत्व है।
वर्णम् के आदि एक विभिन्न प्रकारकी गतियों साथ समग्र शाधर और संवाद के साथ चलती हैं। इससे निकल बात कि वर्णम् एक बड़ी संस्कृतिय और आतंकी पदार्थ हो। इसलिए, अगर आपको वर्णम् के कोई अध्याय या निभःगत का पाठ चाहिए तो संस्कृतिय शिक्षा लेना आवश्यक होगा।
अर्थात, वर्णम् की कुलकुल परिवर्तना एक चरित्र संग्रह है जो इन-पुर्न बाणीय, धर्मशास्त्रीय, स्थलीय, और अनुकूल पद आए। वह कई उदाहरणों के साथ-साथ चार सामान्य भरतीय गुणों को ध्यान देता है।
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