Learn Carnatic Flute | Intermediate Level | Varnams Vol - 15

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राग वर्णमळ (Rāga VarnaMal) एक प्राचीन भिन्नसाजक पद्धतियों का संगेत है, जिसके अनुसाر गीत सिद्ध किए जाते हैं। इसका विभिन्न श्रेठ यथा पल्लवि, अनुपल्लवि, चरणम्, चिट्टा स्वर (मुक्तायी स्वर) और अनूबंध (Anubandha) होते हैं। इस शिल्प में, गीत के प्रथम धातु श्रेठों के साथ-साथ चालानदेय (Adi Tala) या अटा ताल (Ata Tala) के आधार पर बिता गई हैं। इसमें चालानदेय ताल वाली वर्णमळों के लिए अधिक सामान्य और प्रभावक होते हैं।
श्रेठ-परिचय:
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Pallavi: पल्लवी एक सुबहुधारी गानी हो सकती है, जिसमें केवल स्वर या सहित्या (लोक श्रेठ) का पता आता है। यह बीजेबाएं के रूप में जाना जाता है।
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Anupallavi: इस श्रेठ में पल्लवी के साथ-साथ दिया गति होता है, और उसकी बिना पल्लवी को सम्मान न सकती।
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Chitta Swaram/Muktaayi Swaram: यह एक गीतकार के लिए कम संख्या में जाता है, और इसमें निश्चित स्वरों का पता आता है। यह एक पूरा गीत के लिए साफ स्वरों (कम स्वर) का पता चाहता है।
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Charanam: इस श्रेठ में गीत के नीचे जाने वाली भावक गानी होती है, जिसमें लोक श्रेठ या अर्थात साहित्या का पता आता है।
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Anubandha: यह गीत का साझा खेल या अनुसरण हो सकता है, जिसमें पल्लवी के साथ-साथ चिट्टा स्वरको निकल आए हुए लोक श्रेठ या सामान्य गानी होती है।
ताल-परिचय:
- Chalanadeya Tala (चालानदेय ताल): इसमें छातू (beats per cycle) ५, ७, ९, १०, १२ आदि हो सकता है।
- Ata Tala: इसमें छातू ५६ होती हैं।
राग वर्णमळों एक ध्यान सील:
- Sankarabharanam: इस राग के वर्णमळ का स्थानीय पदार्थ होता है, जो संस्कृत गीतों के लिए भी बहुसमान है।
- Arabhi: इस राग का वर्णमळ जन्त या धतु प्रयोग के लिए भी बहुसामान है, और "Mathe Malayadhwaja" एक विशेष उपाय साते है।
- Kalyani: इस राग के वर्णमळ का निम्न पदार्थ होता है, जो धीमा भाव संगीतकार के लिए सुनायी है।
- Kanada: इस राग के वर्णमळ को "Bhairavi Thodi" कहा जाता है, जिसमें धीमा भाव एक नजद संगीतकार के लिए बहुप्रभावक होता है।
वर्णमळ की अध्यान सील:
- Matangi: इस राग के वर्णमळ महत्वपूर्ण योजना और गिरनात्मक श्रेठ का निर्दिश्ट होता है।
- Shankarabharanam: इस राग के वर्णमल को "Manakamboji" भी कहा जाता है, और यह संस्कृत गीतों के लिए भी बहुसमान है।
- Bhairavi: इस राग के वर्णमळ को "Kalyani" भी कहा जाता है, जो भी धीमा नजद श्रेठ का निर्दिश्ट होता है।
वर्णमळ एक संगीतकार के लिए बहुप्रभावक सांगीतिक न्यायक, नृत्यशास्त्र, धातु-धातू या अत्यधिक शास्त्रज्ञोत्ती का माहित करना चाहे, वह उचित शिक्षा और अनुसरण के साथ एक ऐसी भावना सिद्ध कर सकता है जिसमें राग, ताल, प्यार, लग्न, विभेग, आदि सबसे उपयुक्त हो।
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